साल 1954 की फिल्म ‘नौकरी’। डायरेक्टर थे बिमल रॉय, बतौर एक्टर किशोर कुमार को साइन किया गया। किशोर कुमार को लग रहा था कि फिल्म के गाने भी वही गाएंगे। पर म्यूजिक डायरेक्टर सलिल चौधरी चाहते थे किशोर कुमार नहीं फिल्म के गाने हेमंत कुमार गाएं।
जर्नलिस्ट राजू भारतन की किताब 'अ जर्नी डाउन मेलडी लेन' के मुताबिक किशोर कुमार, सलिल चौधरी से कहते हैं कि - ‘मुझे अपनी ही फिल्म में क्यों नहीं गाने दिया जा रहा है?’
सलिल चौधरी बोले – 'तुम्हें संगीत की एबीसी भी नहीं आती। तुम जा सकते हो। हेमंत कुमार तुम्हारे लिए गाना गाएंगे।'
किशोर कुमार बिमल रॉय के पास भी गए, पर बात नहीं बनी और हेमंत कुमार ही किशोर कुमार की आवाज बने। शुरुआती दौर में जब किशोर कुमार एक्टिंग करते थे तो मोहम्मद रफी ने भी उनके लिए 10 से ज्यादा गाने गाए। क्योंकि उस दौर में कोई भी किशोर कुमार की गायकी को लेकर सीरियस नहीं था। सबको लगता था किशोर के सुरों में वो दम नहीं है।
वक्त गुजरा और ये सभी गलत साबित हुए। किशोर अपनी आवाज के जरिये लोगों के दिलों में उतरे। जिस एक्टर की आवाज बने वो सुपरस्टार बन गया। क्लासिकल ट्रैंड नहीं थे फिर बड़े से बड़ा सिंगर इनके साथ गाने में घबराता था। प्यार, उदासी, अकेलापन, मस्ती, सुख-दुख जीवन के हर तरह के रूप को अपने सुरों से सजाया। आज कहानी जीनियस सिंगर किशोर कुमार की। जो दुखों पर खिलखिला कर हंसता था। और इसी अंदाज की वजह से लोग उन्हें मैड मैन कहते थे।
मध्य प्रदेश के एक छोटे से शहर खंडवा के रहने वाले वकील कुंजालाल गंगोपाध्याय और गौरा देवी के घर 4 अगस्त, 1929 को एक बेटे का जन्म हुआ। नाम रखा आभास कुमार गांगुली। जिन्हें सब किशोर कुमार कहते। इनके दो बड़े भाई अशोक कुमार, अनूप कुमार और एक बड़ी बहन थीं सती देवी।
किशोर कुमार अपने दौर के मशहूर एक्टर और सिंगर केएल सहगल को एडमायर करते, वो उन्हीं की तरह बनने का ख्वाब देखते।
एक्टर अशोक कुमार ने एक इंटरव्यू में बताया था कि ‘बचपन में किशोर की आवाज फटे बांस जैसी थी, एक बार उनका पांव सब्जी काटने वाली दरांती पर पड़ गया। पैर में गहरा जख्म हो गया। तब किशोर 3-4 दिनों तक रोते रहे। बस उन दिनों के रोने में ही उनका गला साफ हो गया।’
ये वो दौर था, जब अशोक कुमार फिल्मों में एक बड़ा नाम थे। वहीं अनूप कुमार भी कुछ फिल्में कर रहे थे। तो किशोर को भी साल 1940 की ‘बंधन’ और साल 1946 की '8 दिन' में एक –आध गीत में कुछ लाइनें गाने का मौका मिला।
किशोर ग्रेजुएशन कर 19-20 साल की उम्र में खंडवा से मुंबई आ गए। एक बार जब किशोर कुमार केएल सहगल का गाना गुनगुनाते अशोक कुमार के बॉम्बे टॉकीज वाले ऑफिस जा रहे थे। अभी ऑफिस के करीब पहुंचे ही थे कि तभी उनकी आवाज म्यूजिक डायरेक्टर खेमचंद प्रकाश के कानों पर पड़ी। उन्हें किशोर की आवाज पसंद आई और साल 1948 की देवानंद की फिल्म 'जिद्दी' में गाने का ऑफर दे दिया। किशोर कुमार ने रिकॉर्डिंग को एक ही दिन में ओके कर दिया। गाने के बोल थे - ‘मरने की दुआएं क्यों मांगू…..।’
लेकिन इसके बाद भी किशोर कुमार जो एक सिंगर बनना चाहते थे, उनकी गायकी को लोग सीरियस नहीं लेते। लेकिन 50 के दशक में वो बतौर एक्टर बॉलीवुड में जम गए।
म्यूजिक डायरेक्टर एसडी बर्मन किशोर कुमार की आवाज के कायल थे। जिस फिल्म में किशोर कुमार बतौर एक्टर काम कर रहे होते उस फिल्म में उनको कभी-कभी गाने का मौका मिल जाता।
साल था 1956, फिल्म रिलीज हुई फंटूस। इसमें किशोर कुमार की आवाज से सजा 'दुखी मन मेरे सुन मेरा कहना' गाना सुपरहिट हो गया।
इसके बाद तो 60 के दशक में एक्टिंग छोड़ किशोर कुमार पूरी तरह से गायकी की और मुड़ गए। दुनिया ने किशोर की आवाज की रेंज देखी।
वक्त गुजारा एसडी बर्मन की विरासत को उनके बेचे आरडी बर्मन ने संभाला। आरडी बर्मन की जादूई धुनों में किशोर कुमार की आवाज ने म्यूजिक में नया रंग ही भर दिया। एक्टर देव आनंद, राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन के लिए इस अंदाज में गाने गाय मानो किशोर नहीं ये लोग ही गाने गा रहे थे।
शुरुआती दौर में किशोर कुमार को सिरीयस नहीं लिया उन्होंने भी अपनी गलती मानी।
सलिल चौधरी ने एक इंटरव्यू में कहा था ‘मैं खेमचंद को किशोर कुमार की चमक पहचानने के लिए सैल्यूट करता हूं। मैं मानता हूं कि, हम सभी से किशोर की प्रतिभा पहचानने में गलती हुई थी।’
आठ बार फिल्मफेयर का बेस्ट सिंगर का खिताब जीतने वाले किशोर कुमार ने साल 1988 की ‘वक्त की आवाज’ के गानों के लिए अपनी आवाज दी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक किशोर कुमार को लोग सनकी और पागल कहते थे।
जब किसी प्रोड्यूसर ने आधी फीस दी तो वो आधे सिर की बाल कटवाकर सेट पर पहुंच गए।
जिस प्रोड्यूसर के साथ काम नहीं करना चाहते थे उसका हाथ काट लिया। अपने ड्राइंग रूम को हॉरर प्लेस की तरह सजाते ताकी कोई भी उनके घर न आके। इन्हीं वजह से एक फेमस मैगनीज ने किशोर का इंटरव्यू करने के बाद उनको मैड मैन की खिताब तक दे डाला।
किशोर समाज के मुद्दे पर बेबाक राय रखते। इमरजेंसी में इंदिरा गांधी के खिलाफ बोल दिया तो रेडियो में इनके गाने बैन कर दिए गए।
भीड़-भाड़ और पार्टियों से दूर रहने वाले किशोर अपने गार्डन में लगे पेड़ों से घंटों बातें करते। कहते - हमारे सबसे अच्छे दोस्त यही हैं।
किशोर कुमार ने चार शादियां कीं।
पहली पत्नी बंगाली फिल्मों की एक्ट्रेस और सिंगर रुमा घोष थीं। साल 1951 में दोनों का शादी हुई। सात साल बाद साल 1958 में दोनों ने तलाक ले लिया। रूमा और किशोर कुमार का एक बेटा अमित कुमार है। अमित कुमार भी एक्टर और सिंगर हैं।
बॉलीवुड की सबसे सुंदर एक्ट्रेस मधुबाला उनकी उनकी दूसरी पत्नी थीं। साल 1960 में दोनों शादी की। ये साथ नौ साल का रहा। पर ये वक्त बेहद दुख भरा था। वजह थी मधुबाला को दिल की बीमारी था। साल 1969 में हुई उनकी दर्दनाक मौत से किशोर कुमार बेहद टूट गए। किशोर की तीसरी शादी एक्ट्रेस योगिता बालि से साल 1976 में हुई। लेकिन ये शादी भी दो साल भी टूट गई। साल 1980 में किशोर के जीवन में एक्ट्रेस लीना चंदावरकर आईं। दोनों का एक बेटे सुमित कुमार है। लीना का साथ किशोर कुमार के आखिरी वक्त तक रहा।
1986 में किशोर कुमार को दिल का दौरा पड़ा। अब वो रिकॉर्डिंग भी कम करने लगे। आखिरी ख्वाहिश थी अपने घर, अपने जन्मस्थान खंडवा लौट जाएं। लेकिन 13 अक्टूबर 1987 में उन्हें दूसरा दिल का दौरा पड़ा। 58 साल की उम्र में उनका निधन हो गया। उनके पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार उनके जन्मस्थली खंडवा में ही हुआ था।
किशोर कुमार रिकॉर्डिंग के वक्त मजाक कर देते। बेहद गंभीर बात को हल्के में लेकर मसखरी कर देते। दरअसल, अपने गीतों की खिलखिलाहट से सबको गुदगुदाने वाला ये इंसान अपने निजी जीवन में बहुत सारे दुखों से गुजर चुका था। शायद दुखों से निकलने का उन्हें यही तरीका आता हो।
Comment
0 comment