Devdas Gandhi की मोहब्बत के आगे जब Mahatma Gandhi को झुकना पड़ा

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महात्मा गांधी और कस्तूरबा के चार बेटे हुए। सबसे बड़े हरिलाल गांधीदूसरे नंबर पर मणिलाल गांधीफिर रामदास गांधी और सबसे छोटे थे देवदास गांधी। देवदास गांधी एक लड़की के प्यार में पड़ेउससे शादी करना चाहते थे। लेकिन गांधीजी इसके खिलाफ थे। उन्होंने शादी रोकने की कोशिश कीपर बाद में बेटे के प्यार के आगे झुकना पड़ा। आज कहानी देवदास गांधी और उनके प्यार की दिलचस्प दास्तां की जिसमें बेइंतहा मोहब्बत है। सालों दूर रहने की तड़प है। देवदास की हालत तो फिल्म के देवदास की तरह ही हो गई। लेकिन दोनों ही प्यार को पाने के लिए अपने बड़ों के खिलाफ नहीं गए। 

गांधी जी सबसे छोटे बेटे देवदास गांधी का जन्म 22 मई साल 1900 में साउथ अफ्रीका में जन्म हुआ। साल 1915, गांधीजी जब भारत लौटे तब तक देवदास 15 साल के हो चुके थे। भारत आकर देवदास पढ़ाई करते और गांधीजी के साथ स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ेकई बार जेल गए। इस तरह से 12-13 साल का वक्त गुजर गया। इसी दौरान उनकी मुलाकात लक्ष्मी से हुई। पहली ही नजर में दोनों में प्यार हो गया।

देवदास तब 28 साल के थे और लक्ष्मी 15 साल की। लक्ष्मी अक्सर गांधीजी के वर्धा आश्रम में रहतीं। और इसी दौरान दोनों करीब आए और शादी करने का फैसला किया। देवदास इस बात को गांधीजी यानी अपने पिता को बताने गए।

तो गांधीजी चौंक गएवो बेटे देवदास से बोले – एक बनिया का लड़काब्राह्मण लड़की से शादी कैसे कर सकता है।’

दरअसल उस वक्त गांधीजी खुले तौर पर कई बार अंतरजातीय और अंतरधार्मिक शादियों के खिलाफ बोल चुके थे। वो मानते थे कि ऐसी शादियां धर्म और समाज के लिए अच्छी नहीं हैं।

इस शादी के खिलाफ एक और व्यक्ति थे। वो थे लक्ष्मी के पिता सी राजगोपालाचारी। सी गोपालाचारी जो गांधीजी के सहयोगी और करीबी दोस्त थे। वो कांग्रेस के बड़े नेता भी थे। इन्हें राजाजी भी कहा जाता था। बाद में वो स्वतंत्र भारत के पहले गवर्नर जनरल भी बने।

न गांधीजी चाहते थे और न ही सी राजगोपालाचारी की ये शादी हो। देवदास और लक्ष्मी भी अपने परिवार के खिलाफ नहीं गए चुपचाप इस फैसले को मंजूर कर लिया। पर प्यार तो प्यार है। दोनों एक दूसरे की याद करते। देवदास को तो रात दिन चारों तरफ लक्ष्मी ही नजर आतीं। उनके हालात पागलों जैसे हो गए।

गांधी के पोते गोपालकृष्ण गांधी की किताब - ‘माय डियर बापू के मुताबिक, उस दौरान गांधीजी श्रीलंका गए हुए थे वहां से उन्होंने अपने एक रिश्तेदार सुरेंद्र जो देवदास के दोस्त थे। उनको एक पत्र लिखा।

गांधी जी लिखते हैं कि अब क्या किया जाए। देवदास की हालत देखी नहीं जा रही। वो बार-बार लक्ष्मी का नाम लेता है। राजाजी भी इसके पक्ष में नहीं हैं। अगरदेवदास इतना नाम भगवान का ले तो संत बन जाएगा। वो मेरी बात मान तो रहा हैलेकिन उसकी आत्मा उससे विद्रोह कर रही होगी। उसे लग रहा होगा किमैं इस शादी के खिलाफ खड़ा हो गया हूं। इसलिएवो मुझसे नाराज भी हो रहा होगा।’

वो पत्र में आगे लिखते हैं कि  मैं नहीं जानता किदेवदास कब इस हाल से निकलेगा। कोशिश करो कितुम उसकी मदद कर सको। उसे शांत करो। हो सकता है किमैं उसे समझ नहीं पाया हूं। मुझसे अन्याय हुआ हो। देखो तुम उसे कैसे शांत कर सकते हो। मैं उसे भी एक पत्र लिख रहा हूं। प्यार करना गलत नहीं हैलेकिन उसके दिमाग में जो लालसाएं पल रही हैंवो बहुत सी बीमारियों की जड़ हो सकती हैं। अशुद्ध लालसाएं व्यक्ति को खत्म कर देती हैं।’

इस बीच गांधीजी कुछ पत्र सी राजगोपालाचारी को भी लिखे। दोनों में ये सहमति बनी कि फिलहाल इस शादी को टालने के लिए देवदास के सामने पांच साल तक लक्ष्मी से दूर रहने और उससे कोई संपर्क नहीं रखने की शर्त रख देते हैं।

अगर दोनों टस से मस नहीं होते तो फिर बाद में देखा जाएगा कि क्या करेंगे। देवदास और लक्ष्मी पांच साल अलग रहे। लक्ष्मी अगर गांधीजी के आश्रम में आती भी थीं तो देवदास उनसे नहीं मिलते।

वक्त गुजरा और गांधी जी का अंतरजातीय शादी को लेकर नजरिया बदल चुका था। अब वो मानने लगे थे कि शादी में ऐसी पाबंदियां धर्म को कमजोर ही करेंगी। गांधीजी का मन बदला तो सी राजगोपालाचारी ने भी विरोध नहीं किया।

28 जून साल 1933 में देवदास और लक्ष्मी की शादी बेहद सादे तरीके से हुई। दोनों परिवारों के साथ कांग्रेस के कुछ सीनियर लीडर्स शादी में शामिल हुए। कस्तूरबा गांधी भी पुरानी मान्यताओं को किनारे रख लक्ष्मी को अपना लिया। वो ज्यादातर देवदास और लक्ष्मी के साथ ही रहतीं।

शादी के बाद देवदास और लक्ष्मी का साथ 24 साल का रहा। 57 साल की उम्र में 3 अगस्त साल 1957 को देवदास का निधन हो गया।

देवदास गांधी हिंदुस्तान टाइम्स के संपादक रहे। एक जर्नलिस्ट के तौर पर लोग उनकी तारीफ करते थे।

देवदास और लक्ष्मी के तीन बेटे एक बेटी हुई। सबसे बड़े गोपालकृष्ण गांधी जो बंगाल के राज्यपाल रहे। वो वेंकैया नायडू के खिलाफ यूपीए के उपराष्ट्रपति उम्मीदवार थेलेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा।

दूसरे बेटे राजमोहन गांधी जो लेखक और जर्नलिस्ट थे वो राज्यसभा सदस्य भी रहे।

तीसरे रामचंद्र गांधी फीलोसफी प्रोफेसर थे।

वहीं बेटी तारा ने इकोनॉमिस्ट ज्योति भट्टाचार्य से शादी की। बाद में वो गांधी स्मृति से जुड़ी।

प्यार के आगे झुके गांधीजी की तीसरी और चौथी पीढ़ी में लव मैरिज बहुत हुई जो बेहद सामान्य बात थी। उनके कई पड़पोते और पड़ पोतियों ने विदेशों में भी शादियां कीं।

 

सुनता सब की हूं लेकिन दिल से लिखता हूं, मेरे विचार व्यक्तिगत हैं।

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