आईसीसी टेस्ट चैंपियनशिप 2021-23 का फाइनल इंडिया और ऑस्ट्रेलिया के बीच इंग्लैड के ओवल में खेला जा रहा है। उम्मीद है 11 जून को रोहित शर्मा की कप्तानी में इस बार टेस्ट चैंपियन की चमचमाती हुई ट्रॉफी भारत के हाथ लगेगी। ये ट्रॉफी जोकि कुछ-कुछ गदा की तरह दिखती है।क्या वाकई टेस्ट चैंपियनशिप की ये ट्रॉफी हनुमान जी कि गदा से इंस्पायर्ड है? वैसे टेस्ट चैंपियनशिप की ये ट्रॉफी आईसीसी की बाकी ट्रॉफीज के शेप से अलग है, तो इस टेस्ट चैंपियनशिप की ट्रॉफी अलग क्यों है?
वैसे अगर आप सोच रहे हैं कि आईसीसी की इस टेस्ट चैंपियनशिप की ट्रॉफी की तुलना हनुमान जी की गदा से करने वाले आप अकेले हैं, तो ऐसा बिल्कुल नहीं है। इससे पहले जब पिछली बार इंडिया 2021 में विराट कोहली की कप्तानी में चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंची थी, तब भी फैंस इसका कम्पैरिजन गदा से कर रहे थे। जैसे एक फैन ने लिखा- ओम पुरी टेस्ट चैंपियनशिप के पहले विनर थे साल 1983 में। इसी तरह और भी मीम बनाकर लोगों ने इस ट्रॉफी की तुलना गदा से की थी।
खैर ये तो रही मीम की बात हालांकि इस ट्रॉफी को मेस भी कहते हैं, इसके डिजाइन का आइडिया कहां से आया, तो बता दें, साल 2000 में इस ट्रॉफी का आइडिया ट्रॉफी डिजाइनर Trevor Brown।
को आया था और वो इस ट्रॉफी के पीछे की कहानी बताते है कि इस ट्रॉफी के डिजाइन की इन्पीरेशन उन्हें स्टंप से मिली। मतलब डिजाइन की प्रेरणा देने वाले मूमेंट में एक ये था कि किसी क्लोज मैच में जीत के बाद एक क्रिकेटर को स्मारक के तौर पर स्टंप लेते देखा जाता है। वो उसे हवा में भी लहराते तो उनके मन में स्टंप की तरह लहराने वाली ट्रॉफी की डिजाइन का आइडिया आया। जो एक टिपिकल डिजाइन जोकि कुछ अलगहो सकता है।
यानी कि सीधे शब्दों में कहे तो जैसे जीत के बाद कोई प्लेयर उत्साहित होकर स्टंप उखाड़कर उसे हवा में लहराता है, तो क्यों न जीत के बाद ट्रॉफी भी इसी तरह से आसानी से हवा में लहराई जा सकें। वहीं आपको जानकर हैरानी होगी कि ये पूरी तरह से हाथ से बनाई गई है। थॉमस लिटे के लंदन के सिल्वर वर्कशॉप में इसे तैयार किया गया है और इस गेंद की पीछे की वजह टेस्ट क्रिकेट का ग्लोबल रीच बताया गया। स्टंप की तरह दिखने वाले मेस के इस लंबे हैंडल के चारों ओर लगे चांदी के छल्ले को सफलता का प्रतीक बताया गया है। तो मेस के ऊपर लगी सोने की गेंद को विश्व का सिम्बल और पूरे संसार को बांधे हुए बेल्ट दिखाया गया है, जिसमें टेस्ट खेलने वाले 12 देशों की पहचान दिखती है और कुछ खाली जगह भी है, इस उम्मीद से की अगर कोई देश आगे शामिल हो।
मेस तैयार करने वाली टीम के प्रमुख रहे ली बुक इसे ट्रॉफी से अलग और क्रिकेट की प्रतीक बताते हैं। उनके मुताबिक ट्रॉफी में दो हैंडल होते हैं, वो चाहे जितने भी जटिल या कारीगरी से बनाएं गए हो, वो मेस के आस-पास भी नहीं है। मेस का सबसे मेन पार्ट दुनिया के नक्शे को बीचोबीच गेंद दिखाना है, ट्रॉफी सिर्फ जीत का प्रतीक है, लेकिन मेस अपने आप में क्रिकेट के प्रतिनिधि के तौर पर है।
वैसे बता दे वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप शुरू होने से पहले ये मेस आईसीसी टेस्ट विनर न्यूजीलैंड के पास थी, इस मेस का आधार लकड़ी का है, उसके ऊपर चांदी-सोने की प्लेट लगी है। हैंडर के चारों ओर लगा चांदी का छल्ला सफलता का सिंबल माना जाता है। जिसे सिल्वरस्मिथ राबर्टसन ने तैयार किया है। इसे ग्लोब की शक्ल देने के लिए 700 डिग्री सेल्सियस पर गर्म किया जाता है।
वैसे फाइनल में जीत के बाद विनर टीम को ट्रॉफी के साथ 1.6 मिनियन डॉलर तकरीबन 13.23 करोड़ इंडियन रूपए की प्राइज मनी, रनरअप को 8 मिलियन डॉलर और प्वाइंट टेबल में थर्ड पोजिशन यानी कि साउथ अफ्रीका को 4 लाख 50 हजार डॉलर और फोर्थ पोजिशन यानी कि इग्लैंड को 3 लाख 50 हजार डॉलर मिलेंगे।
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