टेक्नोलॉजी वॉर में तमाम देशों के बीच होड़ सी लगी है. सब स्पेस में अपने लिए मैदान ढूंढने में लगे हैं. ऐसे में भारत का करीब 4 साल के इंतजार के बाद ISRO का मिशन चन्द्रयान-3 लॉन्च होने को तैयार है. इसे जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल यानी GSLV एमके III से लॉन्च किया जाएगा. देश के इस सबसे हैवी लॉन्च व्हीकल को 'बाहुबली' नाम से भी जाना जाता है. इसकी लॉन्चिंग डेट 13 जुलाई दोपहर 2.30 बजे रखी गई है. आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा सेंटर से इसे लॉन्च किया जाएगा. ISRO चीफ का कहना है इससे हमें चंद्रमा की सतह को बेहतर समझने में मदद मिलेगी. चन्द्रयान-2 में लैंडर विक्रम की क्रैश लैंडिंग के बाद चांद पर उतरने का सपना टूट गया था लेकिन इस बार तैयारियां मुकम्मल है.
पिछली गलतियों से सबक लेकर इस बार तकनीकी पहलुओं पर जबरदस्त काम किया गया है. तमाम तरह के टेस्ट किए गए हैं जो कामयाब रहे हैं. तभी तो इसरो चीफ एस. सोमनाथ को पूरा भरोसा है कि इस बार लैंडर विक्रम क्रैश नहीं करेगा. दरअसल 22 जुलाई 2019 को Chandrayaan-2 लॉन्च किया गया था. दो महीने के लंबे सफर के बाद 7 सितंबर 2019 को चंद्रयान-2 का लैंडर विक्रम चंद्रमा के साउथ पोल पर उतरने की कोशिश में हादसे का शिकार हो गया. 47 दिन तक चले चंद्रयान-2 का सफर वहीं खत्म हो गया. इस दौरान PM मोदी भी ISRO मुख्यालय में मौजूद थे. भारत का मून मिशन चंद्रमा की सतह से 2.1 किलोमीटर दूर रह गया. वैज्ञानिकों को ढांढस बंधाकर PM मोदी बाहर आने लगे तो इसरो के अध्यक्ष के. सिवन अपने आंसू नहीं रोक सके और उनकी आंखें छलक पड़ीं. PM मोदी ने हौसला बढ़ाया जिसके बाद वैज्ञानिक अगले मिशन चंद्रयान-3 की तैयारी में जुट गए थे.
चंद्रयान-3 को लेर दैनिक भास्कर से बात करते हुए इसरो चीफ ने कहा है कि चंद्रयान-3 का मेन मकसद सटीक लैंडिंग है. इसके बहुत सारे काम किए जा रहे है. इसमें नए उपकरण, बेहतर एल्गोरिदम, फेलर मोड का ध्यान रखना शामिल है.
क्या है चंद्रयान-3 मिशन?
चंद्रयान-3 मिशन, चंद्रयान-2 का उत्तराधिकारी मिशन है.
इस मिशन में 600 करोड़ से ज़्यादा की लागत आएगी.
चंद्रयान-3 के तीन प्रमुख हिस्से हैं, इस हिस्से को मॉड्यूल कहते हैं.
प्रोपल्शन मॉड्यूल- उड़ाने वाला
लैंडर मॉड्यूल- उतारने वाला
रोवर- जानकारी जुटाने वाला
प्रोपल्शन पूरी ताकत के साथ उड़ाकर धरती से स्पेस तक पहुंचाएगा और चांद तक का सफर कराएगा. वहां पहुंचने पर इस यूनिट का काम बंद हो जाएगा.
स्पेस में पहुंचने के बाद लैंडर मॉड्यूल काम करेगा. जो पूरे सेटअपन को चंद्रमा की जमीन पर उतारने का काम करेगा और अपने साथ रोवर को लेकर उतरेगा.
रोवर में 4 चक्के लगे होंगे. रोबोट है. जो घूमेगा, फोटो खींचेगा, वीडियो बनाएगा, यहां तक की छोटी-छोटी जानकारी जुटाएगा
क्या होगा इस मिशन का हासिल?
चंद्रयान-2 मिशन के दौरान लैंडर ‘विक्रम’ चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. हालांकि, ऑर्बिटर अभी भी काम कर रहा है. चंद्रयान 3 मिशन के अंतर्गत भेजे जाने वाले लैंडर में करीब 4 थ्रोटल इंजन को शामिल किया गया है, जिसका इस्तेमाल लैंडर को सतह पर उतारने के लिए किया जाएगा. अब तक भारत ने किसी दूसरे ग्रह या उसके उपग्रह पर कोई रोवर लैंड नहीं करवाया है. चंद्रयान 3 हमारे इसी सपने को पूरा करेगात. ये मिशन इसरो के आने वाले कई दूसरे बड़े मिशन्स के लिए रास्तों को खोलेगा.
अमेरिका, रूस और चीन को चांद की सतह पर सॉफ्ट लैन्डिंग में सफलता पहले मिल चुकी है. सॉफ्ट लैन्डिंग का मतलब होता है कि आप किसी भी सैटलाइट को किसी लैंडर से सुरक्षित उतारें और वो अपना काम सुचारू रूप से कर सके. चंद्रयान-3 को लेकर वैज्ञानिकों को सफलता मिलने की उम्मीद है. दुनिया भर के 50 फ़ीसदी से भी कम मिशन हैं जो सॉफ्ट लैंडिंग में कामयाब रहे हैं.
क्या है चंद्रयान मिशन ?
चंद्रयान-1
चंद्रमा की तरफ कूच करने वाला भारत का पहला अंतरिक्ष यान चंद्रयान-1 था.
इस अभियान के तहत एक मानव रहित यान को 22 अक्टूबर, 2008 को चन्द्रमा पर भेजा गया और ये 30 अगस्त, 2009 तक एक्टिव रहा.
इस यान को चन्द्रमा तक पहुंचने में 5 दिन लगे, लेकिन चन्द्रमा की कक्षा में स्थापित करने में 15 दिनों का समय लग गया.
इसके पीछे का उद्देश्य ?
पहला- चांद का एक हाई-क्वालिटी नक्शा तैयार करना
दूसरा-चांद पर हीलियम जैसे रासायनिक तत्त्वों का पता लगाना
तीसरा- चांद पर पानी ढूंढ निकालना.
हमारे लिए गर्व की बात है कि चंद्रयान-1 ने अपने सभी प्रमुख उद्देश्यों को सफलतापूर्वक पूरा किया...चन्द्रयान-1 के साथ भारत चांद पर यान भेजने वाला छठा देश बन गया था..इस मिशन का सबसे बड़ा हासिल चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पानी की खोज करना रहा.
चंद्रयान-2
चंद्रयान-1 की सफलता के बाद चंद्रयान-2 को 22 जुलाई, 2019 को लॉन्च किया. इसके तीन हिस्से थे
1. ऑर्बिटर
2. लैंडर ‘विक्रम’
3. ‘प्रज्ञान’ नाम का रोवर
इसके पीछे का उद्देश्य
चंद्रयान-2 का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर लैंडर की एक सॉफ्ट लैंडिंग कराना था. सॉफ्ट लैंडिंग में किसी अंतरिक्ष यान को बिना नुकसान पहुंचाए सतह पर लैंड कराने की कोशिश की जाती है. चंद्रयान-1 ने केवल चंद्रमा की परिक्रमा की थी, लेकिन चंद्रयान-2 में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर और रोवर उतारने की भी योजना थी.
ऑर्बिटर के चांद की कक्षा में स्थापित होने के बाद अंतिम पलों में तकनीकी खराबी के चलते लैंडर विक्रम ने 7 सितंबर 2019 को हार्ड-लैंडिंग की और वो चंद्रमा की सतह पर क्रैश हो गया.
चंद्रयान-3
अब चंद्रयान-2 के बाद अगला नंबर चंद्रयान-3 का है. ये भी फिर से चंद्रमा की सतह पर एक सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास करेगा. चंद्रयान-3 के प्रमुख उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर एक लैंडर और रोवर उतारना है, जिससे रोवर चंद्रमा की सतह पर घूम कर वहां परीक्षण कर पाए. इससे हमें चंद्रमा की सतह को बेहतर समझने में मदद मिलेगी.
अब चंद्रयान-3 को चांद के दक्षिणी हिस्से यानि दक्षिणी ध्रुव पर उतारने की तैयारी है. चंद्रयान-3 फेल न हो इसके लिए ISRO ने अतिरिक्त सेंसर जोड़े हैं. इसकी रफ्तार को मापने के लिए भी लेजर डॉपलर वेलोसीमीटर जोड़ा गया है. अब ऐसी उम्मीद है कि चंद्रयान-3 के ज़रिए भारत अपने लक्ष्य को जल्द ही पूरा कर लेगा.
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