फिल्म 3 इडियट्स का वो सीन तो याद ही होगा, जिसमें वायरस यानी बोमन ईरानी कहते हैं कि स्पेस में फाउंटेन या बॉलपेन कुछ नहीं चलता, तो लाखों डॉलर खर्च करके साइंटिस्टों ने एक पेन बनाया, जिससे जीरो ग्रेविटी में हम कुछ भी लिख सकते हैं। जिसके बाद सीन में फिल्म के लीड एक्टर आमिर खान के पेंसिल के इस्तेमाल के जवाब से सिनेमा हॉल में बैठे दर्शकों को कुछ हद तक इसका जवाब मिल गया था। लेकिन अभी भी लोगों के मन में ये सवाल बना रहता है कि नासा ने इतने पैसे बर्बाद करने की जगह पेंसिल का इस्तेमाल क्यों नहीं किया? बहुत कम लोग जानते हैं इसकी असली कहानी ये नहीं है।
1960 के दशक में जब नासा यानी नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन ने अंतरिक्ष में इंसानों को भेजा तो ये पाया कि ग्रेविटी की वजह से धरती पर चलने वाला बॉलपेन वहां काम नहीं कर रहा, तब उन्होंने लाखों डॉलर खर्च करके एक खास पेन बनाया था। लेकिन, वहीं दूसरी तरफ रूस के अंतरिक्ष यात्री जिन्हें कॉस्मोनॉट्स कहा जाता है, उन्होंने जब इस समस्या का सामना किया तो उन्होंने पेंसिल से काम चला लिया जिसके लिए ग्रेविटी की जरूरत ही नहीं होती थी। असल में यहीं वो कहानी है जो सभी जानते हैं, इसमें कितनी सच्चाई है वो आज हम आपको बता देते हैं।
जब इंसानों ने अंतरिक्ष में सबसे पहली यात्रा की तो जल्दी ही इस बात को समझ लिया गया था कि अंतरिक्ष में धरती पर इस्तेमाल होने वाले बॉल प्वाइंट पेन काम नहीं आएंगे क्योंकि उन्हें डिजाइन ही इस तरह से किया है कि वे ग्रेविटी का उपयोग कर सकें। वहीं धरती पर इस्तेमाल होने वाली पेंसिल को स्पेस में उपयोग न करने की तीन वजह थी, पहली इसकी नोक टूटकर जीरो ग्रेविटी में घूमने लगती, दूसरा अंतरिक्ष में नोक पिघलने का खतरा था और तीसरी बड़ी वजह ये थी कि ग्रेफाइट से बनी पेंसिल की नोक ऑक्सीजन के संपर्क में आने पर आग भी पकड़ सकती है।
नासा के इतिहासकारों की माने तो उनके साइंटिस्टों ने भी पेंसिल का इस्तेमाल किया है। लेकिन यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि ये पेंसिल भी कोई आम नहीं थी। बल्कि 1965 में नासा ने ह्यूस्टन की टाइकैम इंजीनियरिंग मैन्युफैक्चरिंग कंपनी को 34 मेकैनिकल पेंसिल बनाने का ऑर्डर दिया था। जिसे कुछ इस तरह तैयार किया गया था कि अंतरिक्ष में उसकी लीड न टूटे। उस समय इस एक पेंसिल की कीमत 128.89 डॉलर तय की गई थी। ऐसे में नासा ने दूसरा ऑप्शन तलाशना शुरू किया जो सस्ता हो। नासा का पेंसिल न चुनने की एक वजह वो अपोलो मिशन वाली घटना भी थी, जिसमें उसके स्पेस क्राफ्ट में आग लग गई थी।
यहीं वो वजह थी कि नासा ने लाखों डॉलर खर्च करके एक ऐसा सिक्योर पेन तैयार करवाया, जिससे बिना डर के स्पेस में कुछ भी लिख सकें। इस पेन को तैयार किया था पॉल फिशर और उनकी कंपनी ने, जो आज भी फिशर स्पेस पेन के नाम से फेमस है। नासा के जुलाई 1965 में बनकर तैयार हुए इस प्रेशराइज्ड बॉल पेन की खासियत क्या थी वो भी आपको बता देते हैं....इस पैन में पड़ने वाली इंक जीरो ग्रेविटी पर बिना कुछ लिखे बाहर नहीं आ सकती थी। इसकी इंक को लेकर ये भी कहा जाता है कि ये सौ साल तक चल सकती है। खतरे से बचने के लिए इसकी इंक को इस तरह से बनाया गया था कि दो सौ डिग्री सेल्सियस तक जल नहीं सकती थी।
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